प्रधानमंत्री का संबोधन ‘मन की बात’ की 50वीं कड़ी में
- पी आई बी -
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। 3 अक्टूबर, 2014 विजयादशमी का पावन पर्व।‘मन की बात’ के माध्यम से हम सबने एक साथ, एक यात्रा का प्रारम्भ किया था। ‘मन की बात’, इस यात्रा के आज 50 एपिसोड पूरे हो गए हैं। इस तरह आज ये Golden Jubilee Episode स्वर्णिम एपिसोड है। इस बार आपके जो पत्र और फ़ोन आये हैं, अधिकतर वे इस 50 एपिसोड के सन्दर्भ में ही हैं।MyGov पर दिल्ली के अंशु कुमार, अमर कुमार और पटना से विकास यादव, इसी तरह से NarendraModiApp पर दिल्ली की मोनिका जैन, बर्दवान, West Bengal के प्रसेनजीत सरकार और नागपुर की संगीता शास्त्री इन सब लोगों ने लगभग एक ही तरह का प्रश्न पूछा है। उनका कहना है कि अक्सर लोग आपको latest technology, Social Media और Mobile Apps के साथ जोड़ते हैं, लेकिन आपने लोगों के साथ जुड़ने के लिये रेडियो को क्यों चुना ? आपकी ये जिज्ञासा बहुत स्वाभाविक है कि आज के युग में, जबकि करीब रेडियो भुला दिया गया था उस समय मोदी रेडियो लेकर के क्यों आया ? मैं आपको एक किस्सा सुनाना चाहता हूँ। ये 1998 की बात है, मैं भारतीय जनता पार्टी के संगठन के कार्यकर्ता के रूप में हिमाचल में काम करता था। मई का महीना था और मैं शाम के समय travel करता हुआ किसी और स्थान पर जा रहा था।हिमाचल की पहाड़ियों में शाम को ठण्ड तो हो ही जाती है, तो मैं चाय के लिये रास्ते में एक ढाबे पर रुका और जब चाय के लिए order किया तो उसके पहले, वो बहुत छोटा सा ढाबा था, एक ही व्यक्ति खुद चाय बनाता था, बेचता था। ऊपर कपड़ा भी नहीं था ऐसे ही road के किनारे पर छोटा साठेला लगा के खड़ा था। तो उसने अपने पास एक शीशे का बर्तन था, उसमें से लड्डू निकाला, पहले बोला –साहब, चाय बाद में, लड्डू खाइए। मुँह मीठा कीजिये। मैं भी हैरान हो गया तो मैंने पूछा क्या बात है कोई घर में कोई शादी-वादी कोई प्रसंग-वसंग है क्या ! अरे बहुत बड़ी खुशी की बात है वो ऐसा उछल रहा था, ऐसा उमंग से भरा हुआ था, तो मैंने कहा क्या हुआ ! अरे बोले आज भारत ने bomb फोड़ दिया है। मैंने कहा भारत ने bomb फोड़ दिया है ! मैं कुछ समझा नहीं ! तो उसने कहा – देखिये साहब,रेडियो सुनिये। तो रेडियो पर उसी की चर्चा चल रही थी। तो उसने कहा उस समय हमारे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने – वो परमाणु परीक्षण का दिन था और मीडिया के सामने आकर के घोषणा की थी और इसने ये घोषणा रेडियो पर सुनी थी और नाच रहा था और मुझे बड़ा ही बर्फीली पहाड़ियों के बीच, आश्चर्य हुआ कि इस जंगल के सुनसान इलाके में, सामान्य इंसान जो चाय का ठेला लेकर के अपना काम कर रहा है और दिन-भर रेडियो सुनता रहता होगा और उस रेडियो की ख़बर का उसके मन पर इतना असर था, इतना प्रभाव था और तब से मेरे मन में एक बात घर कर गयी थी कि रेडियो जन-जन से जुड़ा हुआ है और रेडियो की बहुत बड़ी ताकत है।communication की reach और उसकी गहराई, शायद रेडियो की बराबरी कोई नहीं कर सकता ये मेरा उस समय से मेरे मन में भरा पड़ा है और उसकी ताकत का मैं अंदाज करता था। तो जब मैं प्रधानमंत्री बना तो सबसे ताकतवर माध्यम की तरफ़ मेरा ध्यान जाना बहुत स्वाभाविक था। और जब मैंने मई 2014 में एक ‘प्रधान-सेवक’ के रूप में कार्यभार संभाला तो मेरे मन में इच्छा थी कि देश की एकता, हमारे भव्य इतिहास, उसका शौर्य, भारत की विविधताएँ, हमारी सांस्कृतिक विविधताएँ, हमारे समाज के रग-रग में समायी हुई अच्छाइयाँ, लोगों का पुरुषार्थ, जज़्बा, त्याग, तपस्या इन सारी बातों को, भारत की यह कहानी, जन-जन तक पहुँचनी चाहिये। देश के दूर-सुदूर गावों से लेकर Metro Cities तक, किसानों से लेकर के युवा professionals तक और बस उसी में से ये ‘मन की बात’ की यात्रा प्रारंभ हो गयी। हर महीने लाखों की संख्या में पत्रों को पढ़ते,phone calls सुनते, App और MyGov पर comment देखते और इन सबको एक सूत्र में पिरोकर के, हल्की-फुल्की बातें करते-करते 50 episode की एक सफ़र, ये यात्रा हम सबने मिलकर के कर ली है। हाल ही में आकाशवाणी ने ‘मन की बात’ पर survey भी कराया। मैंने उनमें से कुछ ऐसे feedback को देखा जो काफी दिलचस्प हैं। जिन लोगों के बीच survey किया गया है, उनमें से औसतन 70% नियमित रूप से ‘मन की बात’ सुनने वाले लोग हैं। अधिकतर लोगों को लगता है कि ‘मन की बात’ का सबसे बड़ा योगदान ये है कि इसने समाज में positivity की भावना बढ़ायी है। ‘मन की बात’ के माध्यम से बड़े पैमाने पर जन-आन्दोलनों को बढ़ावा मिला है। #indiapositiveको लेकर व्यापक चर्चा भी हुई है। ये हमारे देशवासियों के मन में बसी positivity की भावना की, सकारात्मकता की भावना की भी झलक है। लोगों ने अपना ये अनुभव भी share किया है कि ‘मन की बात’ से volunteerism यानी स्वेच्छा से कुछ करने की भावना बढ़ी है। एक ऐसा बदलाव आया है जिसमें समाज की सेवा के लिए लोग बढ़चढ़ करके आगे आ रहे हैं। मुझे यह देखकर के खुशी हुई कि ‘मन की बात’ के कारण रेडियो, और अधिक लोकप्रिय हो रहा है। लेकिन यह केवल रेडियो ही नहीं है जिसके माध्यम से लोग इस कार्यक्रम में जुड़ रहे हैं। लोग टी.वी., एफ़.एम. रेडियो, मोबाइल, इन्टरनेट, फ़ेसबुक लाइव, और periscope के साथ-साथ NarendraModiApp के माध्यम से भी ‘मन की बात’ में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। मैं ‘मन की बात’ परिवार के आप सभी सदस्यों को इस पर विश्वास जताने और इसका हिस्सा बनने के लिये अंतःकरणपूर्वक धन्यवाद देता हूँ।
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