भारतीय बैंकिंग के भविष्य पर एक सम्मेलन 

नीति आयोग ने आर्थिक विकास एवं कल्याण संस्थान (ईजीआरओडब्ल्यू फाउंडेशन) के साथ 22 फरवरी, 2019 को ‘भारतीय बैंकिंग के भविष्य’ पर एक सम्मेलन का सह-आयोजन किया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया।



इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत में बैंकिंग क्षेत्र पर संवाद को बढ़ाना और उदात्त करना तथा भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती ऋण आवश्यकताओं के इष्टतम समर्थन के लिए भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के सतत उद्भव को सूचित करने के लिए अंतःदृष्टि विकसित करने में सहायता करना है। डॉ. राजीव कुमार ने पिछले 4 वर्षों में भारतीय बैंकिंग प्रणाली द्वारा अर्जित की गई उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित किया जिसने ऋण को विस्तारित करने तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी लाने के दीर्घकालिक उपाय के लिए एक मजबूत बुनियाद उपलब्ध कराई। उन्होंने संकेत दिया कि वित्तीय प्रणाली में बेहतरी लाने तथा वित्तीय क्षेत्र में और सुधार के लिए अभी बहुत काम करना बाकी है।


इन विचार विमर्शों से प्राप्त अन्य प्रमुख संदेशों में शामिल हैं:-
प्रौद्योगिकी पहले ही बैंकिंग क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन गई है और यह भविष्य में और महत्वपूर्ण बनी रहेगी। यह बैंकिंग क्षेत्र को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों सहित ग्राहकों के और करीब लाएगी और इससे काफी कम लागत पर सेवा की बेहतर गति के साथ बहुत अधिक दक्षता भी आएगी। सर्वश्रेष्ठ ऋण पद्धतियों एवं नई प्रौद्योगिकी आधारित बैंकिंग प्रतिमानों के साथ कदम मिलाकर चलने के लिए बैंकिंग मानव संसाधनों का उपयुक्त कौशल निर्माण आवश्यक है। इसके अतिरिक्त बैंकिंग कर्मचारियों को भारतीय अर्थव्यवस्था को विस्तारित करने में बैंकिंग की बड़ी भूमिका के लिए तैयार करने के लिए प्रशिक्षित किए जाने की आवश्यकता है। बैंकिंग उद्योग को नियमित रूप से घोटालों तथा बढ़ते साइबर सुरक्षा जोखिमों के लिए तैयार करते रहने की जरूरत है।


बैंकिंग उद्योग को विश्वसनीय बैंकिंग के लिए एक उपयुक्त सतर्कता तंत्र की आवश्यकता है जिसमें कार्रवाई पर विचार करने, आपराधिक उपेक्षा, निर्णय में त्रुटि या अप्रत्याशित व्यवसाय जोखिम के बीच अंतर करने का स्पष्ट रूप से अधिदेश हो। विशिष्ट एवं क्षेत्र आधारित बैंकिंग के लिहाज से फिर से विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने निजी एवं विदेशी बैंकों के विपरीत, नियमित रुप से सामाजिक बैंकिंग का समर्थन किया है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऐसा करना जारी रखना चाहिए।


दक्षता के साथ वैश्विक रुप से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत में बड़े बैंकों की आवश्यकता है। विशेष रुप से भारतीय परिप्रेक्ष्य में बैंकिंग क्षेत्र मुद्दों पर और अधिक अनुसंधान करने की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम में विभिन्न बैंकों, विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों से जुड़े छात्रों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, पेशेवरों सहित 200 से अधिक घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। गणमान्य वक्ताओं में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव श्री राजीव कुमार, भारत सरकार के सीईए डॉ. के. वी. सुब्रमणियन, आईएमएफ के सीनियर रेजीडेन्ट प्रतिनिधि डॉ. एनड्रियास बौअर, विश्व बैंक के लीड फाइनेंसियल सेक्टर के विशेषज्ञ डॉ. मौरियस विस्मानटास, पंजाब नेशनल बैंक के एम.डी. श्री सुनील मेहता, रिजर्व बैंक इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (आरईबीआईटी) के सीईओ श्री नंद कुमार सरावडे एवं ईजीआरओडब्ल्यू फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. अरविन्द विरमानी शामिल थे।


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