स्कूलों में मिड-डे-मील के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम में संशोधनों 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने वर्ष 2019-20 के लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा वहन की जाने वाली 8,000 करोड़ की सब्सिडी सहित 12,054 करोड़ रूपये के परिव्यवय के साथ मिड-डे-मील योजना के तहत मानदंडों को संशोधित करने के लिए मंजूरी दी है। निम्नलिखित संशोधित मानदंड और नए घटकों के समावेश से योजना की निपुणता और प्रभाविता में सुधार आयेगा।



• मुद्रास्फीति सूचकांक से सम्बद्ध कुकिंग लागत में वार्षिक बढ़ोतरी - इस वर्ष कुकिंग लागत बढ़कर 4.35 रूपये और 6.51 रूपये प्रति बच्चा प्रति स्कूल हो गई है। इस प्रकार कुकिंग लागत में 361 करोड़ रूपये की बढ़ोतरी की गई है। यह मिड-डे-मील योजना के तहत खाद्य वस्तुओं पर मुद्रास्फीति के प्रभाव को दूर करेगी।
• पीडीएस दर में पूर्वोत्तूर और हिमालयाई राज्यों (अधिकतम 150 रूपये प्रति क्विंटल की शर्त पर) के अलावा 75 रूपये क्विंटल से ढुलाई कर में संशोधन किया गया है।
• प्रबंधन निगरानी और आंकलन (एमएमई) दर को संशोधित करके कुल ग्राह्य पुनरावर्ती केन्द्रीय सहायता का 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3 प्रतिशत किया गया है।
• रसोई उपकरणों के लिए सहायता को छात्रों की संख्या के आधार पर 5,000 रूपये की निश्चित दर से बढ़ाकर 10 हजार से 25 हजार रूपये किया गया है। इससे स्कूंल, रसोई उपकरणों की खरीदारी / बदलाव करने में समर्थ होंगे।
• 10 वर्ष से अधिक पुराने रसोई घरों की मरम्मउत के लिए 10 हजार रूपये प्रति रसोई का नया घटक शुरू किया गया है इससे मरम्मसत और रख-रखाव में मदद मिलेगी।
• एक व्यवस्थित तरीके से खाद्य वस्तुओं की मजबूती के लिए 50 करोड़ रूपये आवंटित किये गये हैं इससे एनीमिया और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की समस्याओं से निपटा जा सकेगा। स्कूलों में किचन गार्डनों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
• जिला मजिस्ट्रेट की अध्यिक्षता में जिला स्तर समिति को मौजूदा दिशा निर्देशों (केन्द्रो और राज्य सरकार) में छोटे मोटे बदलाव के साथ योजना लागू करने का अधिकार सौंपा गया है। इससे स्थाानीय जरूरतों के मुताबिक योजना की बेहतर आपूर्ति में मदद मिलेगी।
• राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पूर्व अनुमति से अपनी वार्षिक कार्य योजना और बजट का 5 प्रतिशत नए हस्तक्षेपों में उपयोग करने का अधिकार दिया गया है। इससे राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नवाचारी गतिविधियां शुरू करने में मदद मिलेगी।
• तिथि भोजन के रूप में समुदाय भागीदारी की अवधारणा को प्रोत्साहित किया जाएगा जिसके तहत समुदाय लोग बच्चों के जन्म दिन, विवाह जैसे मुख्य दिवसों का आयोजन करते हैं। इसके लिए मिड-डे-मील योजना में योगदान करना होगा। तिथि भोजन मिड-डे-मील का विकल्प नहीं है लेकिन यह मिड-डे-मील का पूरक है।
• ब्लॉक, जिला और राज्य स्तरों पर खाना पकाने की प्रतियोगिताएं नवाचारी मीनू को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की जाएंगी।
• बफर स्टॉफ से दालों का उपयोग - राज्य् और केन्द्र शासित प्रदेश भारत सरकार द्वारा बनाये गये केन्द्रीय बफर स्टाफ से अपने स्वामद के अनुसार मिड-डे-मील के लिए दाल खरीद सकते हैं।
• उपस्थिति की निगरानी – मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रौद्योगिकी आधारित (एसएमएस, आईवीआरएस और मोबाइल एप) ओटोमेटिड मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ कार्य किया है। जिसके दौरान स्कूलों से मिड-डे-मील में उपस्थिति की जानकारी एकत्रित की जाती है। वर्तमान में रोजाना डाटा अपलोडिंग का स्तेर सभी स्कू्लों के लिए 56 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
• मिड-डे-मील के लिए जेलो, मंदिरों और गुरूद्वारों आदि का उपयोग – सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को समुदाय और अन्य एजेंसियों जैसे जेल, मंदिर, गुरूद्वारों आदि को मिड-डे-मील योजना में शामिल करने की सलाह दी गई है।


पृष्ठभभूमि –
मिड-डे-मील योजना (एमडीएमएस) केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना है जिसमें सरकार, सरकारी सहायता प्राप्तू स्कूलों के पहली कक्षा से 8वीं कक्षा में अध्ययन करने वाले सभी स्कूली बच्चें शामिल हैं। इस योजना में देश के 11.4 लाख स्कूलों में अध्ययन कर रहे 12 करोड़ से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। भारत सरकार इस योजना में खाद्यानों पर लगभग 7,600 करोड़ की सब्सिडी सहित 17,600 करोड़ रूपये से अधिक का खर्च वहन करती है। केन्द्र सरकार द्वारा प्रति खुराक वहन की जाने वाली औसत लागत प्राथमिक और अपर प्राथमिक कक्षाओं के लिए क्रमश: 6.64 रूपये और 9.59 रूपये है।


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