विकास दर वर्तमान में सुस्त ग्रामीण क्षेत्रों में

 ग्रामीणों को सामने बाधाओं का पहाड़, रिपोर्ट में खुलासा



आवाज़ ए हिंद टाइम्स सवांदाता, नई दिल्ली, अप्रैल। अगली सरकार को देश की बदहाल ग्रामीण अर्थव्यवस्था विरासत में मिलने वाली है, क्योंकि देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के अनेक हिस्से अनौपचारिक क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें पिछले कई महीनों से अनेक बाधाओं का सामना करना अभी समय लगेगा।


जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट 'रूरल सफारी स्टील ऑन बंपी रोड' में कहा गया हैकि आम चुनाव के बाद दोपहिया और चार पहिया वाहनों जैसे विवेकाधीन उपभोग में थोड़ी वृद्धि की संभावना है, लेकिन बाजार समर्थित टिकाऊ रिकवरी धीरे-धीरे होगी, जोकि पूर्व अनुमान से ज्यादा मंद रहेगी। जेएम फाइनेंशियल ने कहा है, हमने ऑटो सेक्टर के लिए पहले ही अपने अनुमान में कटौती की है और खाद्य पदार्थों की आय में कटौती देख रहे हैं।


हमारी राय में वित्त वर्ष 2020 में विशुद्ध ग्रामीण क्षेत्र का प्रदर्शन मंद रहेगा। सर्वेक्षण रपट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र की विकार दर वर्तमान में 13 में 10 राज्यों में पिछले साल सितंबर के मुकाबले सुस्त है। रपट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि ग्रामीण क्षेत्र की आय सुस्त बिक्री और गैर- कृषि आय कम होने से प्रभावित हुई है।


कृषि आय की चुनौतियों के कारण ग्रामीण मांग में सुस्ती अब व्यापक हो गई है, जोकि पहले पश्चिमी क्षेत्रों में थी। इसकी मुख्य वजह यह है कि फसल की कीमतें घटती जा रही हैं। गौरतलब हैकि वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने वर्ष 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.6 फीसदी रहने के अनुमान जताया था।


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