राज्यों के पास होना चाहिए न्यूनतम वेतन तय करने का अधिकार  : सीआईआई

सीआईआई ने की श्रम नियमों में ढील देने की मांग, उद्योग 'रखो और हटाओ' की नीति की वकालत नहीं करता है, लेकिन मौजूदा से कहीं। ज्यादा लचीले श्रम नियमों की जरूरत : परिसंघ



आवाज़ ए हिंद टाइम्स, ज्योतिन्दर, नई दिल्ली, जून। भारतीय उद्योग परिसंघ ने कहा कि राज्यों द्वारा न्यूनतम वेतन तीन मानदंडों भौगोलिक गंतव्य, कौशल और पेशे के आधार पर तय किया जाना चाहिए। हालांकि, राज्य केंद्र द्वारा तय न्यूनतम वेतन को कम नहीं कर सकतेसीआईआई ने कहा कि राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन की अवधारणा से रोजगार सृजन प्रभावित होगा।


ऐसे में जरूरी है कि राज्यों को अपना न्यूनतम वेतन तय करने का अधिकार दिया जाए। उद्योग मंडल ने सुझाव दिया है कि सरकार को अकुशल श्रमिकों का वेतन तय करना चाहिए। हालांकि, कुशल और अद्धकुशल श्रमबल का वेतन बाजार के आधार पर तय होना चाहिए।


वेतन संहिता विधेयक में प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार रेलवे और खनन समेत कुछ क्षेत्रों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करेगी जबकि राज्य अन्य श्रेणी के रोजगारों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि न्यूनतम मजदूरी में हर  पांच साल में संशोधन किया जाएगा।


केन्द्र सरकार विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों के लिए न्यूनतम वेतन तय कर सकती है। सीआईआई ने श्रम नियमों में ढील और रोजगार सृजन के लिए राष्ट्रीय रोजगार बोर्ड बनाने की मांग की है।


परिसंघ ने रविवार को कहा कि उद्योग 'रखो और हटाओ' की नीति की वकालत नहीं करता है, लेकिन मौजूदा से कहीं ज्यादा लचीले श्रम नियमों की जरूरत है जिससे भारत वैश्विक व्यापार की चुनौतियों का मुकाबला कर सके।


उसने रोजगार सृजन के लिए वृहद राष्ट्रीय रोजगार मिशन बनाने तथा सभी राज्यों को शामिल करते हुए अंतरमंत्रालयी राष्ट्रीय रोजगार बोर्ड के गठन की सलाह दी है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बजर्नी ने कहा कि रोजगार सृजन के कई आयाम हैं और राष्ट्रीय मिशन को उन सभी पर ध्यान देना है।


इसमें नौकरी पर रखने, कर छूट, शिक्षा एवं कौशल विकास आदि के मुद्दे पर लचीलेपन तथा श्रमसाध्य क्षेत्रों को बढ़ावा देने की जरूरत है। उद्योग संगठन ने राज्यों से सीमित अवधि के रोजगार को नीति का हिस्सा बनाने, आयकर की धारा 80जेजेएए के तहत कर लाभ का फायदा किसी भी सेक्टर में 50 हजार रुपए तक कमाने वालों को देने, प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना का लाभ उठाने के लिए अधिकतम वेतन सीमा 15 हजार रुपए से बढ़ाकर 25 हजार रुपए करने की अपील की है।


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