भगवान महावीर स्वामी की जयंती पर जानते हैं जैन धर्म के पांच व्रत.

भगवान महावीर स्वामी की जयंती पर जानते हैं जैन धर्म के पांच व्रत.

आज भगवान श्री महावीर स्वामी जी की जयंती मनाई जा रही है। भगवान महावीर ने ही जैन धर्म को ऊचाई तक पहुंचाया है। तो चलिए जानते हैं कि जैन धर्म क्या है और उसके पांच व्रत कौन-कौन से हैं। भगवान महावीर स्वामी की जयंती पर जानते हैं जैन धर्म के पांच व्रत...


जैन धर्म भारत का एक प्राचीन धर्म है। 'जैन धर्म का अर्थ है 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला।


जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म। जैन धर्म में अहिंसा को परम धर्म माना जाता है और कोई सृष्टिकर्ता इश्वर नहीं माना जाता।


जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की प्राचीनता प्रामाणिक करने वाले अनेक उल्लेख अजैन साहित्य और खासकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं।


व्रत -
जैन धर्म में श्रावक और मुनि दोनों के लिए पाँच व्रत बताए गए है। तीर्थंकर आदि महापुरुष जिनका पालन करते है, वह महाव्रत कहलाते है -


1. अहिंसा - किसी भी जीव को मन, वचन, काय से पीड़ा नहीं पहुँचाना। 

2. सत्य - हित, मित, प्रिय वचन बोलना।

3. अस्तेय - बिना दी हुई वस्तु को ग्रहण नहीं करना।

4. ब्रह्मचर्य - मन, वचन, काय से मैथुन कर्म का त्याग 

5. अपरिग्रह- पदार्थों के प्रति ममत्वरूप परिणमन का या बुद्धिपूर्वक त्याग करना।


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