कोरोना काल में जीवन का बचाव- -उलटे-सीधे दावों के साथ कई कंम्पनियां कर रही हैं अपनी-अपनी दवाओं की ब्रांडिंग

कोरोना काल में उलटे-सीधे दावों के साथ कई कंम्पनियां कर रही हैं अपनी-अपनी दवाओं की ब्रांडिंग

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर का दावा कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर में आएगी

अजय कुमार, लखनऊ

अजय कुमार, उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार

कोरोना महामारी -

कोरोना महामारी से निपटने एवं अपने आप को इससे बचाए रखने के लिए देश के नागरिक  हर संभव कोशिश कर रहे है, जिसकी जहां तक ‘पहुंच’ है वह उसका उतना फायदा उठा रहा है। कोरोना काल में जीवन का बचाव, काढ़ा, भंपारा, गरारा, योगासन से लेकर विशेषज्ञों की राय ली जा रही है.

कोरोना काल में उलटे-सीधे दावों के साथ कई कंम्पनियां कर रही हैं अपनी-अपनी दवाओं की ब्रांडिंग, इंग्लिश से लेकर होम्योपैथिक, आर्युवैदिक, हकीमी सब कुछ अपनाया जा रहे हैं। 

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दादी माॅ के नुस्खें अपनाए जा रहे हैं। इसके लिए घरेलू इलाज बताने वालीं किताबें खंगाली जा रही हैं। यार-दोस्तों से सुझाव लिए जाते हैं। खासकर सुझाव लेने के लिए उन लोगों को ज्यादा तरजीह दी जाती है जो कोरोना पाॅजिटिव होने के बाद निगेटिव हो चुके हैं। 

प्रिंट एवं इलेक्टानिक मीडिया-

कोरोना काल में शिक्षक की भूमिका, प्रिंट एवं इलेक्टानिक मीडिया के माध्यम से डाक्टर जो सुंझाव देते हैं उसे ‘देववाणी’ समझ कर उस पर अमल किया जाता  है। स्थिति यह है कि इस समय जिससे भी बात करिये वह ऐसे समझाता है जैसे किसी एक्सपर्ट से बात हो रही हो। 

दवा कम्पनियां भी मौके का खूब फायदा उठा रही हैं। इन्होंनेअपनी कई दवाओं को कोरोना से निपटने में कारगर बता कर बाजार में झोंक दिया है, जिसमें ग्राहक फंसने से बच नहीं पाता है।

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उधर, हालात यह है कि आम आदमी कोरोना महामारी की दो लहरो से जूझ ही रहा था कि कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक से लोग भयभीत होने लगे हैं। जिस तरह से यह आशंका जताई जा रही हे कि तीसरी लहर का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा पड़ेगा, कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था, उससे तमाम माॅ-बाप का सहम जाना स्वभाविक है।

बात मौजूदा दौर की -

बात मौजूदा दौर की कि जाए तो कोरोना को लेकर एक आम धारणा बन गई है कि कोरोना का मुकाबला सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ा कर ही किया जा सकता है। इसी लिए हर आम और खास अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने में लगा ह,जबकि कई चिकित्सकों का मानना है कि इम्पुनिटी बढ़ाने के लिए ज्यादा दावाओं का सेवन भी खतरनाक है। 

फिर भी इस हकीकत से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कोरोना से लड़ने के लिए किए जा रहे प्रयासों के चलते कुछ लोग कोरोना को चुनौती देने में कामयाब भी हुए हैं,लेकिन ऐसे लोगों की भी तादात कम नहीं है जो हर तरह के उपाय करने के बाद भी कोरोना संक्रमण के शिकार हो चुके हैं।

एक तरफ जहां कोरोना महामारी - 

एक तरफ जहां कोरोना महामारी से आम आदमी जूझ रहा है,वहीं कुछ दवा कम्पनियां झूठे दावों के सहारे जनता को बरगलाने और ठगने में लगी हैं। इसके लिए यह कम्पनियां सोशल साइट्स से लेकर मीडिया तक का सहारा ले रही हैं। आम आदमी इनके प्रचार से भ्रमित होकर अपने घरों में दवाआंे का जखीरा इकट्ठा कर लेता है,जो किसी काम की नहीं होती हैं।

इनको खरीदने के बाद ग्राहक लुटा हुआ महसूस करता है। वही तमाम कम्पनियां मालामाल हो जाती हैं। इसी भ्रामक प्रचार के सहारे दवा कम्पनियों द्वारा अरबों रूपए का धंधा किया जा रहा है। आश्चर्य होता है कि बाजार में एक ही मर्ज और फार्मूले वाली दवाएं अलग-अलग कम्पनियों द्वारा बड़े मूल्य अंतर से बेची जा रही है। 

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इसी लिए इम्यूनिटी बढ़ाने की एक जैसी दवा 30-40 रूपए पत्ते से लेकर 150-200 रूपए में बिक रही है। इस बार भी जरूरत मंदों को वैसे ही ठगा जा रहा है जैसे कोरोना की पहली लहर के दौरान मास्क और सेनेंटाइजर के नाम पर लूटपाट की गई थी। अबकी से आक्सीजन और कोरोना के इलाज के लिए जरूरी दवाओं/इंजेक्शन की कमी दिखाकर ग्राहकों को लूटा जा रहा है। लूट के इस खेल में दवा कम्पनियों और डाक्टरों का गठजोड़ खूब फलफूल रहा है,जबकि कोरोना अपने पाॅव पसारता जा रहा है।

तीसरी लहर- कोरोना काल में जीवन का बचाव- 

कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश को ऐसे जख्म दिए हैं, जिसकी भरपाई करने में लंबा वक्त लगेगा। इस बीच तीसरी लहर आने के भी दावे किए जा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि तीसरी लहर दूसरी लहर से भी ज्यादा खतरनाक होगी। 

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लोगों के मन में यह सवाल भी उठने लगे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर कब तक आएगी ? क्या कोरोना की दो लहरों से हुए नुकसान और सरकार की नाकामी  को तीसरी लहर आने से पहले दुरूस्त कर लिया जाएगा ? सवाल यह भी है कि तीसरी लहर कब आएगी और इसके आने से पहले तक टीकाकरण का अभियान पूरा कर लिया जाएगा।  

सवाल यह भी है कि तीसरी लहर कब आएगी ? 

तीसरी लहर कब आएगी इसको लेकर आ रही अलग-अलग राय के बीच आईआईटी कानपुर के प्रफेसर मणींद्र अग्रवाल ने गणितीय विश्लेषण के आधार पर दावा किया है कि कोरोना की कोरोना वायरस की दूसरी लहर जुलाई तक समाप्त हो जाएगी और तीसरी लहर अक्टूबर से पहले नहीं आएगी।

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तीसरी लहर आने से पहले सरकार को बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, मेडिकल उपकरण, दवाइयां, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, पैरामेडिकल स्टाफ आदि की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। इसमें सबसे कारगार हथियार वैक्सीनेशन है, इसलिए सरकार को वैक्सीनेशन पर पूरा जोर देना चाहिएं।

आईआईटी कानपुर के प्रफेसर अग्रवाल ने कोरोना की पहली लहर के केस, जनसंख्या और इम्युनिटी स्तर को आधार बनाकर तीसरी लहर अक्टूबर तक आने की बात कही है। प्रोफेंसर द्वारा कोरोना की दूसरी लहर के डाटा के आधार पर कंप्यूटिंग मॉडल सूत्र तैयार किया जा रहा है। 

तीसरी लहर कितनी खतरनाक- 

गणितीय विश्लेषण के आधार पर प्रफेसर महामारी से जुड़ी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। प्रोफसर अग्रवाल का कहना है कि तीसरी लहर कितनी खतरनाक है, इसका वायरस किस पर कितना प्रभाव डालेगा। 

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इस विषय पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। तीसरी लहर की चपेट में बच्चे होंगे, इस तरह की बातें केवल डराने वाली है। इस बात का अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा लोगा वैक्सीन लगवाएं और मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।) 

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