कोविड-19 महामारी के दौर में रोग निरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सात प्रकार के योगाभ्यास

योग एक प्राचीन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जो मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर केंद्रित है.

Yog Divas 2021

भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग 5,000 वर्ष पहले अस्तित्व में आया यह सूक्ष्म विज्ञान आज अपनी जबरदस्त सांस्कृतिक शक्ति के लिए जाना जाता है जिसने दुनिया पर गहरा प्रभाव बनाए रखा है.

कोविड-19 महामारी के दौर में रोग निरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सात प्रकार के योगाभ्यास. 'योग' शब्द संस्कृत शब्द 'युज' से बना है जिसका अर्थ है जोड़ना. 

यह शारीरिक व्यायाम, आहार नियंत्रण, सांस लेने की तकनीक और एकाग्रता का संयोजन है जो शरीर को मजबूत करता है और मन को आराम देता है, बदले में, यह प्रतिरक्षा में सुधार करता है. और, SARS Cov-2 वायरस के विकसित रूप से जूझ रही दुनिया में, सावधानी बरतने के साथ-साथ शरीर की प्रतिरक्षा को बव्वा देना बहुत महत्वपूर्ण है. 

7वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर, यहां सात योग अभ्यासों का हम उल्लेख कर रहे हैं जो आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ाने, मनो-शारीरिक स्वास्थ्य निर्माण, भावनात्मक तालमेल और रोज़मर्रा के तनाव और इसके परिणामों के व्यवस्थापन में आपकी सहायता करेंगे. 

यह क्वारंटाइन और आइसोलेशन में कोविड-19 की मनोसामाजिक देखभाल और पुनर्वास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

योगाभ्यास
योगाभ्यास


1. प्राणायाम

नाड़शोधन अथवा अनुलोम विलोम

(वैकल्पिक नासिका श्वास)

प्राणायाम प्राण से बना है जिसका अर्थ है 'श्वास' और आरामदायक मुद्रा में बैठें. आंखें बंद करके रीढ़ और सिर को सीधा रखें. कुछ गहरी सांसों के साथ शरीर को आराम दें.

• बाईं हथेली को ज्ञान मुद्रा में बायें घुटने पर और दाहिनी हथेली को नासाग्र मुद्रा में रखना चाहिए,

अनामिका और छोटी उंगलियों को बाएं नथुने पर रखें और मध्यमा और तर्जनी को मोड़ें तथा दाहिने अंगूठे को दाहिने नथुने पर रखें.

• बाई नासिका को खोलकर बाईं नासिका से सांस अंदर लें.

• बाई नासिका छिद्र को छोटी उंगली और अनामिका से बंद करें तथा दाहिने नथुने से अंगूठे को छोड़ दें, दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें,

• इसके बाद, दाहिने नथुने से श्वास लें. श्वास के अंत में, दाएं नथुने को बंद करें, बाएं नथुने को खोलें और इससे सांस छोड़ें.

• यह नाड़शोधन या अनुलोम विलोम प्रणायाम का एक चक्र पूरा करता है. अन्य 4 राउंड के लिए इसे दोहराएं, प्राणायाम का अभ्यास करते समय श्वास धीमी, स्थिर और नियंत्रित ह्येनी चाहिए, 

इसे किसी भी तरह से जबरदस्ती या प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए, शुरुआती लोगों के लिए, सांस लेने और छोड़ने की अवधि समान ह्येनी चाहिए. 

धीरे-धीरे 1:2 का अनुपात (सांस लेनाः सांस छोझा) बनाएं, शुरुआत में कुछ दोहराव के साथ अभ्यास शुरू करें और धीरे-धीरे दोहराव की संख्या बढ़ाएं, प्रारंभिक अवस्था में रिटेंशन या होल्ड का अभ्यास न करें. नाड़शोधन प्राणायाम संवेदी गतिविधि को कम और तंत्रिका (पैरासिम्पेथेटिक) गतिविधि को उत्तेजित करता है तथा तनाव और चिंता को कम करता है.

उज्जयी में किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठना, दोनों नथुनों से धीरे-धीरे लंबी, गहरी सांस लेना शामिल है. फुसफुसाते समय होने वाले कसाव के समान गले के पिछले हिस्से को सिकोड़कर श्वास गले और हृदय के बीच के मार्ग को बांधता है और शोर उत्पन्न करता है. 

इस स्तर पर, कुंभक का अभ्यास किया जा सकता है. इसके बाद अपनी दाहिनी नासिक छिद्र को बंद कर लें और बाई नासिका से सांस को बाहर छोड़ें. इस प्रणायाम से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है.

भामरी प्रणायाम, गुनगुनाते हुए, नेजल नाइट्रिक ऑक्साइड को बढ़ा सकता है, जो सिलिअरी एपिथेलियम में रक्त के प्रवाह में सुधार कर सकता है और एंटीइन्फ्लेमेटरी क्रिया होती है.

2. कपालभाति

कपालभाति में तेजी के साथ बार-बार श्वास छोड़ना और सांस लेना शामिल होता है.

आरामदायक मुद्रा में बैठें. अपनी आंखें बंद करें और पूरे शरीर को आराम दें.

• दोनों नथुनों से गहरी सांस लें, छाती को फुलाएं

• पैल्विक और पेट की मांसपेशियों के बलपूर्वक संकुचन के साथ सांस को बाहर निकालें और श्वास लें. तनाव न लें.

• सक्रिय/बलपूर्वक सांस छोड़ना और सांस लेना जारी रखें. तेजी के साथ 30 सांसें पूरी करें, फिर गहरी सांस लें, धीरे-धीरे सांस छोड़ें और पूरी तरह से आराम करें.

यह कपालभाति का एक दौर है. प्रत्येक दौर के बाद थोड़ी देर स्थिर रहना होगा. इसके दो और राउंड देहराएं,

कपालभाति प्राणायाम के लिए एक उपयोगी प्रारंभिक अभ्यास श्वसन क्रिया में सुधार करता है और खांसी संबंधी विकारों को दूर करने में सहायता करता है. 

यह ललाट साइनस को साफ करने में भी मदद करता है, शुरुआती 20 तीव्र सांसों के 3 राउंड तक अभ्यास किया जा सकता है. इसका अभ्यास सुबह-सुबह खाली पेट करना बेहतर है. 

उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, सांस की तकलीफ, स्लिप डिस्क, वर्टिगो, माइग्रेन, हर्निया और गैस्ट्रिक अल्सर के रोगियों को यह नहीं करना चाहिए,

गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान भी इस अभ्यास से बचना चाहिए.

3. ससकासन

स्साक का अर्थ है खरगोश. इस मुद्रा में शरीर खरगोश की तरह दिखता है इसलिए इसे यह नाम दिया गया है.

• वज्रासन में बैठे (बैठने का एक ऐसा आसन जिसमें रीढ़ के लंबवत व्यक्ति को अपने पैरों को अपने नितंबों के नीचे मोड़कर बैठना पड़ता है)

• दोनों घुटनों को फैला लें, पंजों को छूएं

• सांस भरते हुए हथेलियों को घुटनों के बीच रखें

• सांस छोड़ते हुए बाजुओं को फैलाकर आगे की ओर झुकें और ठुड्डी को जमीन पर रखें, बाजुओं को समानांतर रखें. सामने देखें और मुद्रा बनाए रखें और ऊपर की ओर लेकर जाएं.

वज्रासन पर वापस आएं. दंडासन करें और विश्रामासान में विश्राम करें.

स्सकासन तनाव कम करने के लिए उत्तम योग मुद्रा है. यह सिर के मुकुट को रक्त की आपूर्ति करता है, जो तनाव दूर करने में मदद करता है. 

यह रीढ़ की हड्डी को भी मजबूत करता है, पीठ और कंधों को फैलाता है तथा प्रतिरक्षा और अंतःस्रावी तंत्र को उत्तेजित करता है. तेज़ पीठ दर्द की स्थिति में इस आसन से बचें. 

घुटनों के पुराने ऑस्टियो-आर्थराइटिस के रोगियों को वज्रासन से बचना चाहिए.

4. भुजंगासन

• भुजंग का अर्थ सर्प या कोबरा से है इस आसन में शरीर को सर्प के फन की तरह ऊपर उठाया जाता है, इसलिए इसका यह नाम पड़ है.

• अपने पेट के बल लेट जाएं, अपने सिर को अपने प्रथों पर टिकाएं और शरीर को आराम दें.

• अपने पैरों को जोड़ लें और माथा जमीन पर रखकर अपनी बाहों को फैला लें.

इसके बाद अपने हाथों को शरीर के ठीक बगल में रखें, हथेलियां और कोहनियां जमीन पर रखें.

• जैसे ही आप धीरे-धीरे सांस लेते हैं, हाथों की स्थिति में बदलाव किए बिना सिर और छाती को नाभि क्षेत्र तक उठाएं और आराम की मुद्रा में रहें. 

इसे सरल भुजंगासन कहते हैं. अब वापस आकर अपना माथा जमीन पर रखें. अपनी हथेलियों को छाती के साथ रखें और अपनी कोहनियों को ऊपर उठाएं जहां पर वे हैं.

श्वास भरते हुए धीरे-धीरे सिर और छाती को नाभि क्षेत्र तक ऊपर उठाएं. कोहनियों को समानांतर रखें और 10-30 सेकंड के साथ सामान्य श्वास के साथ मुद्र को बनाए रखें. यह भुजंगासन है.

• सांस छोड़ते हुए अपने माथे को जमीन पर टिकाएं, मकरासन में वापस आएं और आराम करें.

यह आसन छाती के विस्तार और कार्डियोपल्मोनरी कार्यों में सुधार करता है और ब्रेन्कियल समस्याओं को दूर करने में सहायता करता है. यह तनाव को दूर करने में भी मदद करता है.

5. उत्तान मंडुकासन

उत्तान का अर्थ है सीधे और मंडुका का अर्थ है मेंढक, उत्तान मंडुकासान की अंतिम स्थिति एक मेंढक के समान वेती है, इसलिए इसका यह नाम पड़ा है.

• वज्रासन में बैठे.

• दोनों घुटनों को चौड़ करके फैलाएं और पैर के अंगूठे एक दूसरे को छू रहे हों.

अपने दाहिने हाथ को उठाएं, कोहनी से मोड़ें और बाएं कंधे के ऊपर पीछे की ओर ले जाएं तथा हथेली को बाएं कंधे के ब्लेड पर रखें. 

अब इसी तरह बायें हाथ को मोड़ें और हथेली को दाहिने कंधे के ब्लेड पर रखें.

• कुछ देर स्थिति को बनाए रखें, तब धीरे धीरे उलट क्रम में आएं

• विश्रामासन में आराम करें, यह आसन डायफ्रामिक गतिविधियों और फेफड़ों की क्षमता में सुधार करता है.

6. श्वासन

यह चित्त आराम मुद्रा है.

• पीठ के बल लेट जाएं और ह्यथ तथा पैर आराम से अलग रखें, हथेलियां ऊपर की ओर, आंखें बंद, ह्येशपूर्वक पूरे शरीर को आराम दें.

• प्राकृतिक श्वास के प्रति जागरूक बनें और इसे धीमा तथा उथली होने दें. जब तक आप तरोताजा और तनावमुक्त महसूस न करें तब तक इस स्थिति में रहें. 

यह आसन तनाव को दूर करने में सहायता करता है और शरीर तथा दिमाग को आराम पाने में सहायक ह्येता है. यह पूरे साइकोफिजियोलॉजिकल सिस्टम को आराम देता है.

कोविड-19 रोगियों में साथ में मनोवैज्ञानिक संकट को अक्सर नज़रअंदाज कर दिया जाता है कोविड-19 के मरीज होम आइसोलेशन/संगरोध के दौरान चिंता और तीव्र अवसाद के शिकार हो सकते हैं.

7. ध्यान

ध्यान या मेडिटेशन निरंतर चिंतन की प्रक्रिया होती है. आरामदायक मुद्रा में बैठें. अपनी रीढ़ को आराम से सधा रखें.

बान मुद्रा या ध्यान मुद्रा अपनाएं

• एक वृत्त बनाते हुए अंगूठे की नोक को तर्जनी की नोक से स्पर्श करें. अन्य तीन उंगलियां सीधी और शिथिल रखें. सभी तीनों उंगलियां अगल-बगल में और छू रही हों.

अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर रखें. ह्यथ और कंधे ढीले तथा शिथिल होने चाहिए, अपनी आंखें बंद कर लें और थोड़ा ऊपर की ओर मुंह करके बैठ जाएं.

• आपको ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता नहीं है, क्स भौहों के बीच हल्का सा ध्यान रखें और अपनी सांसों के प्रति सचेत रहें.

अपने विचारों को विसर्जित करें और एकल तथा शुद्ध विचार प्राप्त करने का प्रयास करें,

ध्यान करें.

ध्यान योग अभ्यास का सबसे महत्वपूर्ण घटक है. यह कोर्टिसोल के स्तर को कम करके और अल्फा ब्रेन वेव को बढ़ाकर चिंता तथा तनाव को कम करने में सहायता करता है. 

यह न्यूरोएंडोक्राइन सिस्टम के कार्यों को भी जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली में वृद्धि ोती है.

संतुलित करता है असन पूरे शरीर और दिमाग को फिर से जीवंत करता है और उन्हें उचित आराम देता है. ध्यान आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है. 

इन तकनीकों ने हल्के से मध्यम संक्रमण के साथ कोविड-19 रोगियों में लक्षणों की गंभीरता को कम करके दिखाया है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने "शारीरिक गतिविधि 2018-2030 पर वैश्विक कार्य योजनाः एक स्वस्थ दुनिया के लिए अधिक सक्रिय लोग' में योग का अपने स्वास्थ्य में सुधार के साधन के रूप में उल्लेख किया है. 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा था, "योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है. 

यह मन और शरीर की एकता, विचार और क्रिया, संयम और पूर्ति, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का प्रतीक है. 

यह व्यायाम के बारे में नहीं बल्कि अपने आपको दुनिया तथा प्रकृति के साथ एकजुटता की भावना की खोज करने के लिए है और इसी भावना के साथ विश्वभर में हल साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है.

(संकलन: अनीशा बनर्जी और अनुजा भारद्वाजन)

(चित्रः यूएन/डीपीडी)






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