'संयोग' शनि जयंती, ज्येष्ठ अमावस और सूर्यग्रहण का

इस बार वीरवार के दिन ज्येष्ठ भावुका अमावस, 'संयोग' शनि जयंती, ज्येष्ठ अमावस और सूर्यग्रहण का, शनि जयंती तथा सूर्य ग्रहण, धृति तथा शूल योग एक ही दिन पड़ने से 10 जून का दिन विशेष होगा।

सूर्य ग्रहण -

साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को था जबकि दूसरा ग्रहण 10 जून, वीरवार को पड़ रहा है जो एक सूर्य ग्रहण होगा। आंशिक रूप से भारत में दिख सकने वाला यह ग्रहण अपराह्न 1.42 पर शुरू होकर सायं 6.41 पर समाप्त होगा

सूतक काल नहीं-

क्योंकि यह ग्रहण भारत में कई जगह पर नहीं दिखेगा, ऐसे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। 

कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण-

इस साल वलयाकार सूर्य ग्रहण ग्रीनलैंड, उत्तर-पूर्वी कनाडा, उत्तरी ध्रुव और रूस के कुछ सुदूरवर्ती पूर्वी हिस्सों से दिखाई देगा जबकि यूरोप, उत्तरी अमरीका, एशिया, आर्कटिक और अटलांटिक क्षेत्रों में आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। 

भारत में अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के कुछ हिस्सों को छोड़कर, यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। ग्रीनलैंड में स्थानीय समय के अनुसार दोपहर को चरम पर पहुंचने पर 'रिंग ऑफ फायर' दिखाई देगा। वहां से यह उत्तरी ध्रुव और साइबेरिया में दिखाई देगा।

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शनि जयंती शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। हिन्दू पंचांग में ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है।

इस दिन पूजा-अर्चना करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

शनि जयंती शुभ मुहूर्त अमावस्या आरंभ : 9 जून को अपराह्न 2.25 से

'संयोग' शनि जयंती, ज्येष्ठ अमावस और सूर्यग्रहण का

शनि जयंती : 10 जून वीरवार को-

अमावस्या समाप्ति : 10 जून को अपराह्न 4.24 पर पूजा विधि इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें। उनके चरणों में काले उड़द और तिल चढ़ाएं. इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें।

इस दिन व्रत रखने से शनिदेव की विशेष-

कृपा जरूरतमंद को भोजन कराना बेहद शुभ फल देता है।

पौराणिक शास्त्रों में शनि को सूर्य देव का पुत्र माना गया है। ऐसा वर्णन आता है कि सूर्य ने श्याम वर्ण के कारण शनि को अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था। तभी से वह सूर्य से शत्रु का भाव रखते हैं।

ज्योतिषशास्त्र में सभी ग्रहों में शनि का विशेष महत्व है। कुंडली में शनि की शुभ और अशुभ स्थिति का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।

शनि न्याय के भी देवता माने जाते हैं। ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव मनाया जाता है।

शनि की साढ़े साती, ढैया या शनि की महादशा से परेशान लोगों के लिए यह दिन विशेष फल देने वाला होता है।

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शनि की अशुभ छाया के संकेत-

पैरों से संबंधित कोई बीमारी हो सकती है। कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है जो आपसे आपकी क्षमता से अधिक काम करवाता है और आपको उस काम का श्रेय भी नहीं मिलता। लगातार पैसों का नुक्सान होता रहता है।

आपके घर के पालतू काले जानवर (जैसे- काला कुत्ता या भैंस) की मृत्यु हो सकती है। बनते काम बिगड़ सकते हैं। बहुत मेहनत करने के बाद भी उसका थोड़ा ही फल मिलता है।

कोई झूठा आरोप लग सकता है, कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। नौकरीपेशा लोगों को ऑफिस में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कोई महंगी चीज गुम हो सकती है या चोरी हो सकती है।

उपाय : प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। भिखारी, निर्बलदुर्बल या अशक्तों, सेवकों की सेवा करें।

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काली चीजें जैसे काले चने, काले तिल, उड़द की दाल, काले कपड़े आदि का दान सामर्थ्यानुसार निःस्वार्थ मन से किसी जरूरतमंद को करें। ऐसा करने से शनिदेव जल्द ही प्रसन्न होकर आपका कल्याण करेंगे। पीपल की जड़ में केसर, चंदन, चावल, फूल मिला पवित्र जल अर्पित करें।

शनिवार के दिन तिल के तेल का दीप जलाएं और पूजा करें। तेल में बनी खाद्य सामग्री का दान गाय, कुत्ते एवं भिखारी को करें।

मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस मंत्र का जाप भी लाभदायक रहता है :

ओम शं शनैश्चराय नमः।

-मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्

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