स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 

पोषण संबंधी पसंद में सुधार लाने और भारत की आहार विविधता को बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एंड एडवांस्ड रिसर्च ऑन डाइट्स (एनसीईएआर-डी), लेडी इरविन कॉलेज और यूनिसेफ इंडिया के सहयोग से आज नई दिल्ली में ‘स्थानीय खाद्य प्रणालियों से स्वस्थ आहार को बढ़ावा देना’ विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।



उद्घाटन सत्र को नीति आयोग के सीईओ, श्री अमिताभ कांत, महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्री राकेश श्रीवास्तव, डीएआरई के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि डॉ. यास्मिन अली हक, लेडी इरविन कॉलेज की निदेशक और एनसीईए-डी की चेयरपर्सन डॉ. अनूपा सिद्धू ने संबोधित किया। 250 से अधिक सर्वोत्तम प्रक्रियाओं, नवाचारों और विभिन्न कृषि एवं खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा विकसित स्थानीय खाद्य उत्पादकों की प्रदर्शनी इस कार्यशाला का अन्य आकर्षण था। इस कार्यशाला में महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम और पोषण अभियान के मध्य समावेश को शामिल करते हुए इन जिलों में राज्य सरकारों और शिक्षाविदों के बीच संस्थागत सहयोग तैयार करने का प्रयास किया गया।


पोषण अभियान के तत्वाधान में खपत और घरेलू/स्थानीय रूप से उपलब्ध पोषण तत्वों से भरपूर खाद्य संसाधनों के समुदाय उत्पादन प्राथमिकता का विषय रहा है। शैक्षिक संस्थान पोषण अभियान के लक्ष्यों को अर्जित करने में जिलों और राज्य प्रशासन को तकनीकी, प्रशिक्षण और संयुक्त निगरानी सहायता के लिए संसाधन केंद्रों के रूप में कार्य करेंगे। इस कार्यशाला में राज्य सरकारें, यूनिसेफ और खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) जैसी संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और जिला स्तर पर कार्य कर रहे विकास भागीदार शामिल हुए। इसमें 16 राज्यों के 40 से अधिक शैक्षिक संस्थानों (गृह विज्ञान कॉलेज, खाद्य, पोषण और कृषि विश्वविद्यालयों के विस्तार शिक्षा विभाग) संस्थानों की भागीदारी रही। इसके अलावा कार्यान्वयन रणनीति और नवाचार सफलता कहानियों को साझा करने वाले प्रसिद्ध शिक्षाविद और विशेषज्ञ भी इस कार्यशाला में शामिल हुए।


कार्यशाला के दौरान महत्वकांक्षी जिलों की खुराक के संबंध में तथ्य पत्रक भी जारी किए गए। जो बच्चों और बच्चे पैदा करने की उम्र समूह की माताओं के दैनिक खुराक में अंतरों की जांच में शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं की मदद करेगी। इसका विश्लेषण इस अंतर को पाटने के लिए एक कार्य योजना बनाने में शैक्षिक संस्थानों की मदद करेगा। इसे सहयोग और कार्यान्वयन के उद्देश्य के लिए जिला प्रशासन के साथ भी साझा किया जाएगा। पोषण (समग्र पोषण के लिए व्यापक योजना) अभियान का उद्देश्य 2022 तक भारत को कुपोषण से मुक्त बनाना है। इस कार्यक्रम में कुपोषण, एनीमिया और कम वजन के बच्चों के जन्म को घटाना है। इसके लिए भारत में खाद्य पोषण के लिए एक जन आंदोलन के सृजन और साक्ष्य आधारित पोषण हस्तक्षेपों का समावेश सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्यशाला ने भारत में महत्वाकांक्षी जिलों में खाद्य विविधता समस्याओं की आम समझ पर पहुंचने और उन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण से सीख लने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया है, जिसमें पोषण शिक्षाविद और राज्य सरकारों ने सहयोग किया है। शैक्षिक संस्थानों को वैज्ञानिक प्रणालियां स्थापित करने और स्पष्ट रूप से परिभाषित संकेतकों के साथ अर्जित की जाने वाली कार्ययोजना तैयार करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है।


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