बोझ मान रहीं छोटी कंपनियां पेड मैटरनिटी लीव को 

कानून में संशोधन के मुताबिक, महिलाएं छह महीने की पेड लीव
सहित अन्य मैटरनिटी बेनेफिट पाने की हकदार हैं


पेड मैटरनिटी लीव बढ़ाए जाने के बाद स्टार्टअप्स महिलाओं की हायरिंग से कतराने लगी हैं। यह जानकारी एक सर्वे में सामने आई है। मार्च 2017 में मैटरनिटी बेनेफिट्स एक्ट में एक संशोधन पर मुहर लगी थी। उसके चलते महिलाओं के लिए पेड मैटरनिटी लीव 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई।



इससे संगठित क्षेत्र में 18 लाख महिला कामगारों को फायदा हुआ। यह कानून ऐसी सभी इकाइयों पर लागू होता है, जहां 10 या इससे ज्यादा लोग काम करते हों। पेड मैटरनिटी लीव की सुविधा पहले दो बच्चों तक ही मिलती है।


सिटीजंस फोरम लोकलसर्कल्स ने 9000 अर्ली स्टार्ट अप्स और स्मॉल बिजनेसेज पर सर्वे किया था। उसने कहा कि महिलाओं की हायरिंग स्टार्टअप्स के लिए काफी बड़ा आर्थिक बोझ बन गई है, जो आमतौर पर बेहद कम बजट में काम करती हैं। कानून में संशोधन के मुताबिक, महिलाएं छह महीने की पेड लीव सहित अन्य मैटरनिटी बेनेफिट्स पाने की हकदार हैं। सर्वे में शामिल 46 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स ने कहा कि उन्होंने पिछले 18 महीनों में मुख्यतः पुरुषों को हायर किया है।


टू एलिमेंट्स के सीईओ श्रीजीत मूलायिल ने कहा, 'हम बेहद कम बजट में काम करते हैं। बिना कामकाज के उन्हें छह महीने की सैलरी देना हमारे लिए बहुत मुश्किल है।' अच्छी फंडिंग वाली फ्लिपकार्ट और ओला सरीखी बड़ी कंपनियां महिलाओं को छह महीने की मैटरनिटी लीव दे सकती हैं, लेकिन छोटी कंपनियों के पास इतनी बेंच स्ट्रेंथ नहीं होती, जिसके कारण उन्हें रिप्लेसमेंट हायर करना पड़ता है।


मूलायिल ने कहा, 'इससे दरअसल हमारी लागत दोगुनी हो जाती है।' सरकार ने पिछले साल कहा था कि वह दी गई मैटरनिटी लीव में से सात हफ्ते का वेतन एंप्लॉयर्स को रिफंड करेगी, लेकिन स्टार्टअप्स और स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज का कहना है कि लागत की भरपाई के लिए यह पर्याप्त नहीं है। सर्वे के अनुसार, 65 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स ने कहा कि 19 हफ्तों का वेतन भी इस लागत की भरपाई के लिए नाकाफी होगा।


लोकलसर्कल्स ने 8 मार्च को श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार को एक लेटर भेजा था, जिसमें प्रस्ताव दिया गया था कि सरकार उन स्टार्टअप्स और एसएमई को मैटरनिटी बेनेफिट्स एक्ट 2017 के दायरे से हटा दे, जिनके यहां 20 से कम लोग काम करते हों या जिनकी सालाना आमदनी 10 करोड़ रुपये से कम हो। सर्वे में शामिल 61 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।


करियरनेट के फाउंडर अंशुमान दास ने कहा, 'सक्षम कर्मचारी को हायर करने पर फोकस रहता है, लेकिन ड्रायवर्सिटी बढ़ाने पर फोकस अब नहीं रहा। स्टार्टअप हायरिंग के मामले में हमारे सर्वे से पता चला कि अगर बराबर क्षमता के पुरुष और महिला उम्मीदवार हों तो स्टार्टअप पुरुष को हायर करना पसंद करेगी।'


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