होली नकारात्मकता से छुटकारा पाने का त्योहार 

नई दिल्ली, मार्च। “आत्म-प्राप्ति के मार्ग में 5 बाधाएं हैं। प्रेमपूर्ण व्यवहार से क्रोध खत्म होता है, इच्छाओं में कमी आती है, विभिन्न आसक्तियों से मुक्ति मिलती है, लालच कम होता है और व्यक्ति में विनम्रता आती है।



अहंकार और अन्य नकारात्मक गुणों के खात्मे से, एक-दूसरे के बीच खराब भावनाएं समाप्त होती हैंऔर हर किसी से दोस्ताना संबंध बनते हैं। इसलिए, होली का उत्सव, केवल अपने दोस्तों से ही नहीं, बल्कि उन लोगों से भी मिलने के लिए होता है, जिनसे आपकी मित्रता नहीं है।


यह त्यौहार समाज में भाईचारा और खुशियां फैलाने का एक अवसर है।'' पद्म श्री अवार्डी, एचसीएफआई के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने कहा कि होली सतही स्तर पर रंग खेलने का पर्व नहीं नकारात्मकता से छुटकारा पाने का त्यौहार है। सुरक्षित होली के लिए जरूरी है कि दांतों पर रंग न लगे इसके लिए उन पर डेंटल कैप लगा लें। रंगों में मिले हानिकारक रसायनों से आंखों को सुरक्षित रखने के लिए धूप के चश्मे का उपयोग करें।


पुराने और कटे- फटे कपड़े पहनें, जिन्हें हटायाजा सके। पूरी बाजू की टी-शर्ट या शर्ट और लेगिंग पहनें जो पूरी तरह से पैरों को ढंक ले व मोजे पहनें। चमकीले और गहरे रंग के कपड़ों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बालों की सुरक्षा के लिए कैप या हैट पहनें। जब आप पर रंग लगाया जा रहा हो, तब अपनी आंखों और होंठों को कसकर बंद रखें। त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए शरीर और बालों पर किसी भी तेल की एक मोटी परत लगाएं।


यह बाद में आसानी से रंगों को धोने में मदद करेगा। उन्होंने बताया कि रंग को धोते समय, गुनगुने पानी का उपयोग करें और आंखें और होंठ कसकर बंद रखें। भीड़ से बचें। सड़कों पर भीड़ के उन्मादी समूह से न टकराएं। बच्चों को अंडे, मिट्टी, गटर के पानी से होली खेलने से रोकें। अबीर का प्रयोग न करें, क्योंकि इसमें माइका के कण होते हैं।


बच्चों को पड़ोसी पर जबरन रंग लगाने से रोकें। होली के दिन सड़कों पर अकेले न चलें। प्राकृतिक रंग और साफ पानी का उपयोग करें। अपने बच्चों के लिए स्वच्छ पानी की एक बड़ी बाल्टी रखें, ताकि वे गटर के पानी और अन्य अशुद्ध स्रोतों का सहारा न लें।


वहीं चेज अरोमाथेरापी कॉस्मटिक्स एंड स्किन केयर इंस्टीट्यूट ने अपने नारायणा विहार ब्रांच में एक शिविर का आयोजन किया ताकि विभिन्न रासायनिक रंगों के नुकसान से बचाया जा सके। क्लीनिक के डा. नरेश अरोड़ा ने कहा कि होली के ज्यादातर गुलाल बहुत सख्त और कोटिंग वाले रंग होते हैं।


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