तैयारी - मतदान जून-जुलाई में हो सकता है
(राष्ट्रपति शासन लागू है राज्य में)
जम्मू, मार्च, जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के बाद विधानसभा चुनाव करवाए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। दरअसल अब भाजपा द्वारा राज्य में जल्द चुनाव करवाने का समर्थन करने के बाद जून-जुलाई में यह चुनाव कराने की अटकलें लजरूर तेज हो गई है, पर राजनीतिक पंडितों के बकौल, राज्य को इस चुनाव के लिए अगस्त माह के दूसरे पखवाड़े तक इंतजार करना पड़ सकता है।
इसका कारण एक जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा और मंदी की मार से त्रस्त स्थानीय पर्यटन उद्योग है। अलबत्ता, अंतिम फैसला केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा राज्य में विधानसभा चुनाव कराने के लिए हालात की समीक्षा के लिए नियुक्त अपने तीन विशेष पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर ही लेगा। अलबत्ता, भाजपा राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने गत बुधवार को श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि वह चाहते हैं कि जम्मू कश्मीर में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव हों। इस संदर्भ में भाजपा भी अपना पक्ष चुनाव आयोग के समक्ष रखेगी।
उनके इस बयान के बाद से राज्य के राजनीतिक हल्कों से लेकर प्रशासनिक तंत्र में भी संसदीय चुनावों की प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के शुरू होने की संभावना को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रमुख जीए मीर और नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा कि हम तो हमेशा से इन चुनावों के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें उम्मीद नहीं कि यह चुनाव जून-जुलाई में हों।
केंद्र में नई सरकार क्या रवैया अपनाती है, यह उस पर ही तय है। राज्य गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए केंद्र से केंद्रीय अर्द्धसैनिकबलों की लगभग एक हजार कंपनियां मांगी थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने करीब 500 ही कंपनियां प्रदान की और इसलिए यह दोनों चुनाव एकसाथ नहीं हुए हैं।
हम जून में भी चुनाव कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह फैसला केंद्र को लेना है। लेकिन यहां जुलाई-अगस्त माह के दौरान अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए सुरक्षा कवच की भी चुनौती है। इस यात्रा में किसी भी तरह का आतंकी खलल पूरे देश में माहौल बिगाड़ सकता है। इसलिए हमें लगता है कि विस चुनाव यात्रा के बाद ही कराए जाएंगे।