सीसीटीवी कैमरे आपको लगवाने हों, तो क्या करें

दिल्ली में अगले कुछ महीनों में करीब डेढ़ लाख सीसीटीवी
कैमरे लगाए जाने की तैयारी की जा रही है।



कुछ हिस्सों में कैमरे लगने शुरू भी हो गए हैं। आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर ये कैमरे लगाए जाने हैं। आरडब्ल्यूए के सुझाव के आधार पर विधायक मीटिंग बुलाते हैं, जिसमें पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भी होते हैं। आप विधायक सौरभ भारद्वाज का कहना है। कि उनके विधानसभा एरिया में कई जगह पर सर्वे पूरा हो गया है। आरडब्ल्यूए के सुझावों के आधार पर अलग-अलग जगहों पर कैमरे लगाए जाएंगे।


कैमरों कि लिए आरडब्ल्यूए के साथ-साथ आम लोगों के बिजली कनेक्शन से भी बिजली ली जाएगी। कैमरों के लिए बिजली का खर्च सरकार उठाएगी और सरकार द्वारा उन सभी लोगों की लिस्ट बिजली कंपनियों को भेज दी जाएगी, जिनके बिजली कनेक्शन से कैमरों के लिए बिजली ली गई हैं। सरकार ने अनुमान लगाया है कि एक कैमरे पर महीने में करीब छह यूनिट बिजली खर्च होगा और उसके बाद उनके बिलों में करीब 7 यूनिट एडजस्ट कर दी जाएंगी और कंपनियों को इस बिजली खर्च का भुगतान सरकार करेगी।


पूरी दिल्ली में 1.40 लाख से ज्यादा कैमरे लगने हैं और हर विधानसभा एरिया में 2-2 हजार कैमरे लगाए जाएंगे। स्वराज मॉडल पर ये सीसीटीवी लगाए जाएंगे और इसके लिए गली-मोहल्लों में आम लोगों के साथ बैठकें की जाएंगी। विधायक अब आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर इन बैठकों का आयोजन करवाएंगे और उसी समय सीसीटीवी कैमरों की लोकेशन फाइनल कर ली जाएंगी।


एरिया के विधायक या विभाग से किया जा सकता है संपर्क -


सरकार ने यह साफ कर दिया है कि आरडब्ल्यूए और आम लोगों की सहमति से ही कैमरों के लिए लोकेशन फाइनल की जाएगी। अलग-अलग इलाकों में आरडब्ल्यूए की जनरल बॉडी मीटिंग (जीबीएम) बुलाई जाएगी, जिसमें इलाके के सभी नागरिकों को बुलाया जाएगाइसमें विधायक प्रतिनिधि, आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के प्रतिनिधि और लोकल थाने के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।


आरडब्ल्यूए सीसीटीवी कैमरों की लोकेशन को लेकर विधायक या पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। उसके बाद जीबीएम बुलाई जाएगी, जिसमें सबकी सहमति से कैमरों की जगह फाइनल कर दी जाएगी। विधायकों को कहा गया है कि इलाके में जितनी भी आरडब्ल्यूए हैं, उन सबके साथ बातचीत की जाए।


 


 


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