दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला, गठबंधन धूमिल पड़ने से

बड़ी चुनौती, खोयी जमीन को फिर से हासिल


करने की कांग्रेस के सामने  



आवाज़ ए हिंद टाइम्स सवांदाता, नई दिल्ली, अप्रैल। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच गठबंधन की संभावनाएं धूमिल होने से दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर एक बार फिर त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार बढ़ गए हैं। आप के पिछले आम चुनाव में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था और 2009 में सातों सीटों पर कब्जा करने वाली कांग्रेस का दामन दिल्ली में खाली रह गया था।


मोदी लहर के बीच भाजपा ने त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस से सातों सीटें छीन ली थी। यही नहीं सातों सीटों पर आप ने कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था और कांग्रेस के कई नामी गिरामी उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गयी थी। राजधानी में चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है और 12 मई को सातों सीटों पर मतदान होगा। आप और कांग्रेस में गठबंधन की संभावनायें रोज बन और बिगड़ रही है।


इससे दोनों पाटियों के बीच मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना धूमिल होती जा रही है और एक बार फिर इसका लाभ भाजपा को मिलने के कयास लगाये जाने लगे हैं। दिल्ली में नामांकन भरने की अंतिम तिथि 23 अप्रैल है। कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की अटकलों के चलते भाजपा ने उम्मीदवारों को लेकर अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं और ऐसी संभावनाएं है कि पर्चा भरने के आखिरी दिन तक संशय की स्थिति बनाए रख सकती है। कांग्रेस ने भी अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं।


उधर आप ने कई दिन पहले ही सातों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और उसके प्रत्याशी जोर शोर से प्रचार में जुटे हुए हैं। इन चुनावों में कांग्रेस के सामने अपनी खोयी जमीन को फिर से हासिल करने की बड़ी चुनौती है तो भाजपा अपनी सातों सीटों को बचाये रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।


आप लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कर रही प्रयास दिल्ली में सरकार चला रही आप इस बार भी लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जी तोड प्रयास कर रही है। आप के सात उम्मीदवारों में पूर्वी दिल्ली से आतिशी, उत्तर पूर्वी दिल्ली से दिलीप कुमार पांडे, चांदनी चौक से पंकज कुमार गुप्ता, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली गुगन सिंह, दक्षिणी दिल्ली से राघव चड्ढा, नई दिल्ली से बृजेश गोयल और पश्चिमी दिल्ली से बलवीर सिंह जाखड़ हैं। आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर पिछले कई दिनों तक रस्सा कसी चलती रही।


कांग्रेस केवल दिल्ली में आप के साथ गठबंधन चाहती थी जबकि आप हरियाणा और चंडीगढ़ में भी गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरने के पक्ष में थी। दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ में मिलाकर कुल 18 संसदीय क्षेत्र हैं। आप नेताओं का यह मानना था कि कांग्रेस तीनों स्थानों पर मिलकर चुनाव लड़े और कांग्रेस जितनी सीटें उसे हरियाणा में उसे दे उतनी ही सीटों पर कांग्रेस दिल्ली में चुनाव लड़े।


चर्चा है कि दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में भी सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच पेंच फंसा हुआ है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने तो शुरू में आप से किसी तरह के गठबंधन से इंकार किया था लेकिन बाद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आप के साथ गठबंधन के संकेत दिए।


दोनों दलों की ओर से अब तक दिए गए बयानों से इनके बीच गठबंधन के आसार कम हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली लोकसभा सीट पर भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने आप उम्मीदवार आशीष खेतान को हराया जबकि कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन तीसरे स्थान पर रहे। पूर्वी दिल्ली से भाजपा के महेश गिरी ने आप के उम्मीदवार राज मोहन गांधी को हराया, कांग्रेस के संदीप दीक्षित इन दोनों से पीछे रहे।


चांदनी चौक से केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आप के उम्मीदवार और पत्रकार आशुतोष को पराजित किया और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल तीसरे पायदान पर रहे। उत्तर पर्वी दिल्ली से भाजपा के मनोज तिवारी ने आप उम्मीदवार आनंद कुमार को पराजित किया जबकि कांग्रेस के नेता जयप्रकाश अग्रवाल तीसरे स्थान पर रहे।


दक्षिण दिल्ली से भाजपा के रमेश विधूडी ने आप के कर्नल देविन्दर सहरावत को हराया जबकि कांग्रेस नेता रमेश कुमार का स्थान तीसरे नंबर पर था।


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