तोपखानों के इस्तेमाल के बाद दहशत, पलायन दोनों ओर से
जम्मू, अप्रैल। 814 किमी लंबी भारत- पाक सीमा अर्थात एलओसी पर हालात और खराब हो गए हैं। सीजफायर के बावजूद एलओसी के इलाकों में दोनों पक्षों द्वारा तोपखानों के इस्तेमाल और भारतीय सैनिक व नागरिक ठिकानों को गोलों की बरसात से पाट देने की पाक सेना की कोशिशों ने इस ओर जो दहशत का माहौल पैदा किया है।
इसका परिणाम यह है कि एलओसी पर तारबंदी के पार और साथ में सटे गांव खाली होने लगे हैं। इन गांववासियों को पलायन से रोकने की भारतीय सेना ने कोई कोशिश इसलिए भी नहीं की है क्योंकि वह जानती है कि पाक सेना एलओसी पर कहर बरपाने को आमादा है। करीब डेढ़ माह से वह वैसे भी एलओसी पर जो कहर बरपा रही है उससे त्राहि-त्राहि मची हुई है।
हालांकि पाक सेना की गोलाबारी, जिसमें वह मीडियम रेंज के तोपखानों का भी इस्तेमाल कर रही है, को भारतीय पक्ष अभी भी सीजफायर उल्लंघन ही बता रहा हैपर आंकड़े बताते हैं कि पिछले डेढ़ महीने के अरसे में कोई भी दिन ऐसा नहीं था जिस दिन पाक सेना ने एलओसी के कई इलाकों में गोलाबारी न की हो। पाक सेना की गोलाबारी से सबसे अधिक त्रस्त उड़ी, बारामुगा, कुपवाड़ा, पुंछ तथा राजौरी के सेक्टर हैं।
पाक गोलाबारी के जारी रहने के कारण सीमांत लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं कि सीजफायर है या युद्ध क्योंकि रात के अंधेरे को चीरते हुए तोप के गोले अब उनके घरों की छतों को भेदने लगे हैं। आंकड़ों के बकौल, डेढ़ माह के भीतर डेढ़ सौ से अधिक घर पाक गोलाबारी के कारण क्षतिग्रस्त हुए हैं और 100 के करीब पशुओं की जाने जा चुकी हैं।
जम्मू-सीमा के अब्दुगियां, नंदपुर, मेला-बेगा, गरखाल आदि गांवों से हजारों लोगों ने सुरक्षा की खातिर पलायन का रास्ता अपनाना आरंभ किया है। उन्हें मजबूर होकर उस समय यह कदम उठाना पड़ा जब बीएसएफ ने उन्हें सुरक्षा का आश्वासन नहीं दिया। हालांकि कई गांवों के लोगों ने महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर भिजवा कर आगे ही डटे रहने का फैसला किया है।