सार्वजनिक किया जाए बैंकों की निरीक्षण रिपोर्ट को 

आरबीआई को निर्देश सुप्रीम कोर्ट का 


अदालत ने दिया अवमानना कार्रवाई का संकेत, आरटीआई के तहत मांगी गई थी जानकारी



आवाज़ ए हिंद टाइम्स सवांदाता, नई दिल्ली, अप्रैल। सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत बैंकों की वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट से जुड़ी जानकारी का खुलासा करने का शुक्रवार को एक और मौका दिया।


न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने आरबीआई को आरटीआई के तहत बैंकों से संबंधित सूचना का खुलासा करने के लिए अपनी नीति की समीक्षा करने के आदेश दिया और कहा कि कानून के तहत यह उसका कर्तव्य है। न्यायालय ने कहा, हम आरबीआई को चेतावनी देते हैं कि शीर्ष न्यायालय के आदेश का उल्लंघन अदालत की गंभीर अवमानना मानी जाएगी।


आरटीआई कार्यकर्ता गिरीश और सुभाष ने आरटीआई कानून के तहत सूचना मुहैया कराने के शीर्ष न्यायालय के आदेश की अवहेलना के मामले में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरटीआई के तहत सूचना मुहैया नहीं कराने की आरबीआई की नीति उसके वर्ष 2015 के आदेश का उल्लंघन है।


आरबीआई से मांगी गई थीजानकारी याचिकाकर्ताओं ने दिसंबर 2015 में आरटीआई कानून के तहत आरबीआई से आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, एच डी एफ सी बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से अप्रैल 2011 से लेकर दिसंबर 2015 तक की वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट की प्रतियां समेत कुछ सूचनायें मांगी थी लेकिन आरबीआई ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया।


केन्द्रीय बैंक ने कहा था कि वह ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि आरटीआई की धारा 8(1) (ई) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कानून की धारा 45 एनबी के तहत इस तरह की सूचनाएं नहीं देने की उसे छूट प्राप्त है। 


कोर्ट ने दिया था अवमानना का नोटिस -


शीर्ष न्यायालय ने आरटीआई के तहत बैंकों की वार्षिक निरीक्षण रिपोर्ट का खुलासा ना करने के लिए आरबीआई को इस वर्ष जनवरी में अवमानना नोटिस जारी किया था।


इससे पहले उच्चतम न्यायालय और केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा था कि आरबीआई तब तक पारदर्शिता कानून के तहत मांगी गयी सूचना देने से इन्कार नहीं कर सकता जब तक कि उसे कानून के तहत खुलासे से छूट न प्राप्त हो।


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