सैंकड़ों रेलगाड़ी ड्राइवरों को मिली राहत नियम बदलने के बाद 

पहल - रेलगाड़ी ड्राइवर पर नहीं होगी कार्रवाई लाल सिग्नल छूने से 


(निलंबित-बर्खास्त ड्राइवरों को पुनः मिली नौकरी 300 से अधिक)



नई दिल्ली, अप्रैल। भारतीय रेल ने विश्वस्तरीय रेल बनने के लिए अपने नियमों में भी सुधार शुरू कर दिए हैं। दरअसल दुनिया के किसी भी देश में रेलगाड़ी ड्राइवर के लाल सिग्नल छूने अथवा पार करने पर दंडनात्मक कार्रवाई नहीं की जाती है। ट्रेन हादसा, हादसे में रेलवे संपत्ति व जानमाल का नुकसान होने पर ड्राइवर पर कार्रवाई की जाती है। जबकि भारतीय रेल में सिग्नल पार करने नौकरी से निकालने अथवा जबरिया सेवानिवृत्त करने तक के सख्त प्रावधान हैं।


बदलते दौर में रेल मंत्रालय ने पुराने नियम को बदलते हुए लाल सिग्नल छूने पर ट्रेन ड्राइवरों व सहायक ड्राइवरों को नौकरी से निलंबित व बर्खास्त करने के नियम समाप्त कर दिया है। रेलवे बोर्ड की इस नई पहल से चालू वित्तीय वर्ष साल 300 से अधिक निलंबित-बर्खास्त ड्राइवरों को पुनः नौकरी मिली है और भविष्य में लाल सिग्नल पार पार करने वाले ड्राइवरों पर दंडनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।


पहले रेलवे नियमों के अनुसार लाल सिग्नल के छूने अथवा एक-दो मीटर आगे ट्रेन के इंजन के चले जाने पर ड्राइवर-सहायक ड्राइवर को सीधे नौकरी से बर्खास्त करने का प्राधवान था। ऐसी घटना में रेलवे की संपत्ति अथवा जानमाल का नुकसान नहीं होता था, लेकिन रेल प्रशासन इसे दुर्घटना मानते हुए ड्राइवरों पर कठोर कार्रवाई करता रहा है।


सूत्रों ने बताया कि कई घटनाओं में लाल सिग्नल पार होने के बाद ड्राइवरों ने आत्महत्या तक कर लेते थे। इस सख्त नियम के विरोध में रेलवे की कई यूनियन सख्त खिलाफ थी। रेलवे बोर्ड ने 24 नवम्बर 2017 को सिग्नल पास एट डेंजर (एसपीएडी) नियम में संशोधन के लिए कार्यकारी निदेशक (क्षमता व शोध) विकास आर्य की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।


उन्होंने बताया कि समिति की सिफाशि पर 2018-19 में रेलवे बोर्ड ने उपरोक्त नियम को समाप्त कर दिया है। इसके बाद से आज तक लाल सिग्नल पार करने पर किसी ड्राइवर- सहायक ड्राइवर को नौकरी से नहीं निकाला गया है। इतना ही नहीं पूर्व में निलंबित व बर्खास्त 300 से अधिक ड्राइवर को फिर से ट्रेन चलाने के कार्य में लगा दिया गया है।


ड्राइवर एसोसिएशन के संजय पांधी ने बताया कि लाल सिग्नल संबंधी नियम में ढील करने के लिए 2014 से प्रयासरत हैं। नियमों में बदलाव होने से ड्राइवरों के भीतर व्याप्त दहशत समाप्त होगी और ट्रेन समयपालन में सुधार आएगा। रेलवे स्टेशनों पर कई प्रकार के सिग्नल होते हैं।


इसमें ट्रेन के स्टेशन छोड़ने के बाद आखिरी सिग्नल के पार होने पर ही दंडनात्मक कार्रवाई की जाएगी। तकनीकी भाषा में अगले स्टेशन के सेक्शन में प्रवेश करने वाले सिग्नल को लास्ट स्टाप सिग्नल कहा जाता हैजबकि स्टेशन के शेष सिग्नलों पर ऐसा होने पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।


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