संविधान के विरुद्ध दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग करना  : दीक्षित

आम आदमी पार्टी का पूर्ण राज्य का नारा और मांग बेमानी और दिल्ली की जनता को भ्रमित करने वाली है: शीला दीक्षित



आवाज़ ए हिंद टाइम्स सवांदाता, नई दिल्ली, अप्रैल। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष एवं उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती शीला दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस की दिल्ली सरकार के वर्षों की उपलब्धियों और दिल्लीवासियों के विश्वास के कारण दिल्ली में मजबूत है और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी दिल्ली की सातों सीटों पर पूर्ण बहुमत से जीतेगी।


दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष एवं उत्तरपूर्वी दिल्ली से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती शीला दीक्षित ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाने के अरविन्द केजरीवाल के दावे पर मुस्कुराते हुए कहा कि अरविन्द ने जबसे राजनीति में कदम रखा है वे तभी से सिर्फ खोखले दावे और झूठे वादे हवा में उछालते रहते हैं।


काश उन्होंने कभी भारत के संविधान को पढ़ने, सोचने और समझने की कोशिशम की होती। हकीकत तो यह है कि उनकी राजनीति का आधार ही नामी-गिरामी व्यक्तित्वों पर आधारहीन व्यक्तिगत आरोप लगाना, बुनियादी बातों की ओर से जनता का ध्यान भटकाना और गैरजरूरी अनावश्यक गैरसंवैधानिक डिमांड करके जनता को दिग्भ्रमित करना रहा है।


उन्होंने कहा कि आज दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग करना देश के संविधान के विरुद्ध मांग करना है। उसके लिए भारत के संविधान में संशोधन आवश्यक है और संविधान में संशोधन के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता पड़ती है।


केजरीवाल आज चन्द लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करके दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाने के नाम पर जनता से वोट मांग रहे हैं। कोई उनसे पूछे कि 2014 के आम चुनावों में पंजाब से उनके चार सांसद लोकसभा में पहुंचे थे और पिछले साल दिल्ली से इनके तीन सांसद राज्यसभा में भी आ गए तो इन लोगों ने संसद में कब और कितनी बार दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग की।


श्रीमती दीक्षित का कहना या कि आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली चुनावों में पूर्ण राज्य की मांग करना केवल पिछले साढे चार साल में अपनी नाकामियों को छिपाने का प्रयास मात्र है।


सच तो ये है कि भाजपा और आप पार्टी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और पिछले पांच वर्षों के अपने-अपने शासन के दौरान हर मोर्चे पर विफल होने के बाद ही दोनों के मुद्दों में बदलाव आ गया है। कोई भी अपने पुराने वादों और मुद्दों की बात करने को तैयार नहीं हैं। अपनी उपलब्धियों के बारे में कोई बताने को तैयार नहीं है।


एक टिप्पणी भेजें (0)
और नया पुराने
close