विकास का अनुमान थमेगी रफ़्तार, आरबीआई ने घटाया 

अब सस्ती होगी ईएमआई, केंद्रीय बैंक ने प्रमुरव ब्याज दरें घटाई


 


कैसे मिलेगा कटौती का फायदा - आरबीआई रेपो रेट में कटौती का फायदा उन लोगों को मिलेगा जिनकी होम लोन या ऑटो लोन चल रही है। दरअसल, रेपो रेट कटौती के बाद बैंकों पर होम या ऑटो लोन पर ब्याज दर कम करने का दबाव बनेगा। आरबीआई के नए नियमों के बाद बैंकों को रेपो रेट कटौती का फायदा आम लोगों को देना ही होगा। ऐसे में अगर आपका होम या ऑटो लोन चल रहा है तो उसकी ईएमआई कम हो जाएगी।


मुंबई, अप्रैल। घरेलु निवेश कमजोर पड़ने तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत को देखते हुए रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास अनुमान में 0.2 फीसदी की कटौती कर इसे 7.2 प्रतिशत कर दिया है।


केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक बैठक के बाद जारी बयान में 2019-20 की पहली छमाही में विकास दर 6.8 से 7.1 प्रतिशत के बीच और दूसरी छमाही में 7.3 प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इस प्रकार पूरे वित्त वर्ष के लिए जीडीपी विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।


इससे पहले फरवरी में जारी बयान में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर अनुमान 7.4 प्रतिशत रखा गया था। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती की। प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट अब 6.25 फीसदी से घटकर छह फीसदी हो गई है। साथ ही, रिवर्स रिपो रेट घटाकर 5.75 फीसदी कर दिया गया है।


घरेलू निवेश कमजोर रहने की संभावना केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उसने घरेलू निवेश कमजोर रहने के संकेत और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के मद्देनजर अपने दो माह पुराने अनुमान में कटौती की है। बयान में कहा गया है ‘उत्पादन और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में सुस्ती से घरेलू निवेश गतिविधियों में कमजोरी के संकेत मिले हैं।


वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती से भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है। वहीं, वाणिज्यिक क्षेत्र में वित्तीय प्रवाह बढ़ने से आर्थिक गतिविधियों पर सकारात्मक असर पड़ने की बात कही गई है। बयान में निजी उपभोग के भी गति पकड़ने की उम्मीद जताई गई हैं ग्रामीण क्षेत्रों में व्यय बढ़ेगा। 


आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने के आसार - आरबीआइ ने प्रमुख ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती की। प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट अब 6.25 फीसदी से घटकर छह फीसदी हो गई है। साथ ही, रिवर्स रिपो रेट घटाकर 5.75 फीसदी कर दिया गया है। आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने और महंगाई में कमी आने से प्रेरित होकर आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की।


रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि ऋण मुहैया करवाता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों से जमा प्राप्त करता है।


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